गाँधी

         गाँधी जयंती बनाम स्वच्छ        p.k.vishwakarma

 जयंती कविता (Gandhi Jayanti Kavita)


  • मैं गाँधी हूँ लेकिन सत्ता का भूखा नहीं
    देश का वफादार हूँ परतंत्रता मुझे मंजूर नहीं
    चाहो जो कहना हैं कह दो
    मैंने कहकर नहीं, करके दिखलाया हैं
    आज जो स्वतंत्र भूमि मिली हैं तुम्हे
    कईयों ने उसे जान देकर छुड़ाया हैं
    आसान हैं गलती निकालना
    तकलीफों के लिए दोष दे जाना
    मैंने अंग्रेजो को बाहर फैका था
    तुम कूड़ा तो फेंक कर दिखलाओं
    हमने अंग्रजों को बाहर फेंका था  
    तुम खुद के लिए तो करके दिखलाओं
    हमने तुम्हे स्वतंत्र भारत दिया था
    तुम स्वच्छ भारत तो बनाओ
    भले मत कहो इसे गाँधी जयंती
    इसे स्वच्छ भारत का आवरण तो चढ़ाओ
 भारत।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट