छठ महापर्व का पैराणिक महत्व

 छठ महापर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

पी के विश्वकर्मा (प्रधानाचार्य)

लिटिल लोटस सेंट्रल स्कूल ,रुद्रपुर रोड नियर लक्ष्मी नारायण मंदिर, beldar मोड़ देवरिया।

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छठ पूजा का इतिहास:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा था जिसका नाम प्रियंवद था। राजा की कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए राजा ने यज्ञ करवाया। यह यज्ञ महर्षि कश्यप ने संपन्न कराया और यज्ञ करने के बाद महर्षि ने प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर प्रसाद के iरुप में ग्रहण करने के लिए दी। यह खीर खाने से उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई लेकिन उनका पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। यह देख राजा बेहद व्याकुल और दुखी हो गए। राजा प्रियंवद अपने मरे हुए पुत्र को लेकर शमशान गए और पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे।

इस समय ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। देवसेना ने राजा से कहा कि वो उनकी पूजा करें। ये देवी सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं। यही कारण है कि ये छठी मईया कही जाती हैं। जैसा माता ने कहा था ठीक वैसे ही राजा ने पुत्र इच्छा की कामना से देवी षष्ठी का व्रत किया। यह व्रत करने से राजा प्रियंवद को पुत्र की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि छठ पूजा संतान प्राप्ति और संतान के सुखी जीवन के लिए किया जाता


रामायण- एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और noसूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।


महाभारत- एक दूसरी मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।


छठ पर्व के बारे में एक कथा और भी है। कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।

अतः कार्तिक शुक्ल षष्ठी का दिन हर प्रकार से उपासना के लिए महत्वपूर्ण होता है।

 धन्यवाद


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