हमारा मित्र होना चाहिए।

 कहने के लिए तो समाज में हमारे बहुत मित्र होते हैं , परंतु क्या कोई ऐसा भी मित्र होता है जो हमारे साया के जैसे हो हमारा मित्र हमारे साए के जैसे होना चाहिए जैसे की हमारा साया जो हमारे साथ-साथ अंदर बाहर जाता रहता है । जितना  मुझे दिखाई देता है , वह उससे अधिक है । एड़ी से छोटी तक उसकी मुझसे अत्यधिक समानता है ।और मैं देखता हूं कि मेरे बिस्तर पर लेटने से पहले ही वह वहां पहुंच जाता है ।तो हमारा मित्र ऐसा ही होना चाहिए जो विपत्ति काल में या सुख के समय हमारे साया के जैसे  हमेशा हमारे साथ रहे


 धन्यवाद

पी के विश्वकर्मा देवरिया।








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