करवा चौथ

करवा चौथ के बारे में

करवा चौथ कार्तिक मास के चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन माताएं बहने बिना जल तथा अन्य ग्रहण किया उपवास रखती हैं तथा शाम को चंद्रमा का दर्शन करने के बाद ही अपना उपवास तोड़ती हैं मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है। करवा व्रत रखने से घर परिवार में सुख शांति तथा समृद्धि आती है।

पुराणों में एक कथा आती है कि जब दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा से नाराज हुए तो उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि तुम्हारा क्षय हो जायेगा ।तब चंद्रमा ने भगवान शिव के पास जाकर प्रार्थना किया अपने व्यथा सुनाएं तब भगवान शिव ने कहा कि तुम्हारा क्षय धीरे-धीरे होगा तथा पूर्णिमा को तुम पूर्ण रूप से दिखाई दोगे ।

इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा की बाकी चतुर्थी को तो नहीं लेकिन यदि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन जो भी तुम्हारा दर्शन करेगा उसके घर सुख समृद्धि लौट आएगी तथा जो महिलाएं इसका व्रत करेंगे उनके पति की आयु लंबी होगी।

महिलाएं अपने पति को चलनी में क्यों देखती हैं

ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा को स्पष्ट नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए तथा कार्तिक मास के चतुर्थी के दिन जिसे करवा चौथ कहते हैं को पत्नी अपने पति को चलनी में इसलिए देखती  हैं कि जिस प्रकार चलनी में सैकड़ों छिद्र होते हैं उसी प्रकार भगवान चंद्रमा उनके पति की आयु सैकड़ों वर्ष लंबी करें तथा उन्हें स्वस्थ और समृद्ध बनाएं।

करवा चौथ के दिन पूरी पवित्रता के साथ स्नान पूजा करके महिलाएं विभिन्न प्रकार की पकवान बनाती हैं तथा भगवान चंद्रमा को तथा भगवान शिव को अर्पित करती हैं।

यह पर्व सास और बहू के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है इस दिन जो भी बहू अपनी सास को प्रसन्न करती है तथा उससे आशीर्वाद लेती है और भविष्य में भी सास को इस तरह सेवा करने की वचन देती है तो उसकी सास की आयु लंबी होती है तथा बहू की भी आयु लंबी होती है और सास  बहू का मधुर व्यवहार जीवन पर्यंत बना रहता है।

जीवन का हर त्यौहार हमें कुछ ना कुछ संदेश देता है हमें त्योहारों की भांति ही हर दिन को मनाना चाहिए तथा अपने जीवन को सुखमय और कल्याणमय  बनाने के लिए हमेशा अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेना उनकी बातों को मनाना उनके बताए के अच्छे रास्तों पर चलना ही सही मायने में हमारे त्योहारों का मतलब होता है।

धन्यवाद

पीके विश्वकर्मा देवरिया



 

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट